हींग के लाभ, सही उपयोग का तरीका और आयुर्वेदिक दवाइयां जिनमें हींग का इस्तेमाल होता है / Hing Benefits, Medicinal Uses And Ayurvedic Medicines That Contain hing

 

हींग- दोस्तों आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी हींग लगे फिटकारी,रंग चोखा हो जाए जिसका मतलब होता है बिना ज़्यादा पैसे खर्च किये कोई बड़ा काम हो जाना
तो इस बात से हमें पता चलता है कि हींग भारतीय जनमानस में सदियों से इस्तेमाल होती आई है. आज इसी हींग के बारे में हम बात करेंगे.

हींग का उत्पादन-
हींग जिसे अंग्रजी में एसाफेटिडा कहते है एक पौधे की जड़ और तने से निकला निर्यास होता है. इस पौधे को हींग का पौधा या फेरूला कहते है.




हींग कैसे बनती है-
 
हींग कैसे बनती है यह बात ज़्यादातर लोग नहीं जानते है यहाँ तक कि जो अपने खाने में हींग का इस्तेमाल करते है वह भी


 
हींग के बारे में ज़्यादा नहीं जानते होंगे. जिस रूप में हम हींग का इस्तेमाल करते हैं वो उस रूप में पैदा नहीं होती है. बाजार में मिलने वाला हींग का पाउडर शुद्ध नहीं होता बल्कि हींग के साथ अन्य खाद्य पदार्थ मिला कर हींग का पाउडर बनाया जाता है.

हींग खाने के क्या फायदे हैं- 

आयुर्वेद में इसे एक औषधि भी बताया गया है इसकी सहायता से कई बीमारियों का इलाज भी किया जा सकता है.

पेट से संबंधित बीमारियों में इस्तेमाल हींग-
आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ घरेलु उपचार पेट की समस्या जैसे गैस, पेट दर्द आदि में हींग का इस्तेमाल किया जाता है




दांत दर्द में फायदेमंद-
दांत दर्द होने पर हींग का एक छोटा से टुकड़ा दर्द वाली जगह पर रख कर दबा लें. इससे दांत दर्द में राहत मिलती है.

कान दर्द में-
तिल के तेल में हींग डाल कर  उसे गर्म करें और ठंडा होने पर 1 या 2 बूँद कान में डालने से बहुत फायदा होता है

मासिक धर्म संबंधित परेशानियां-
एक गिलास पानी में एक चुटकी हींग आधा चम्मच मेथी पाउडर और काला नमक मिला कर दिन में 2 बार पूरे महीने पीने से मासिक धर्म संबंधित परेशानियां जैसे पेट दर्द, ज़्यादा ब्लीडिंग होना आदि से राहत मिलती है.

दाद में फायदेमंद-


लोग दाद से परेशान रहते है. दाद की समस्या में हींग के इस्तेमाल करने से आपको फायदा मिलेगा. हींग को पीसकर दाद पर लगाने से फायदा होता है

अब जानते है हींग के नुकसान के बारे में-

हींग खाने से आपके होंटो पर सूजन हो सकती है.
पेट में गैस की समस्या हो सकती है.
दस्त, सिरदर्द, चक्कर आने की शिकायत  हो सकती है.
अगर आपको ऐसी समस्या हो तो आपको हींग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. हींग का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह लेकर ही करें.
 
आयुर्वेदिक दवाइयाँ जिस में हींग का इस्तेमाल होता है-
1 .
हिंग्वष्टक चूर्ण
2 .
कांकायन वटी

हिंग्वष्टक चूर्ण बनाने की विधि-
सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, अजवायन, सेंधा नमक, काला जीरा, सादा जीरा इन सब को 10 -10 ग्राम की मात्रा में लेले और इनको कूट लें और छान कर इसका चूर्ण बना लें अब 5 ग्राम हींग ले और देशी गाय के घी में अच्छी तरह भून कर इसका भी चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को अच्छी तरह मिला लें ध्यान दें इस चूर्ण को किसी अच्छी तरह शीशे के डिब्बे में रखें ताकि ये सीलन की वजह से ख़राब हो जाए




लाभ-
पेट दर्द और गैस की समस्या में हिंग्वष्टक चूर्ण का इस्तेमाकल करना चाहिए क्योकि हिंग्वष्टक चूर्ण आंत में रुकी हुई वायु को झट से बहार निकलता है. जिससे गैस के कारण होने वाले पेट दर्द में फायदेमंद है. इसे गर्म पानी के साथ लिया जाता है जो रुकी हुई वायु है वो झट से बाहर निकल जाती है और पेट के तनाव को ख़त्म करता है

कांकायन वटी क्या है-
कांकायन वटी आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से बादी बवासीर को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. इस औषधि में जड़ी- बूटियां मौजूद होती हैं उनमे बवासीर दूर करने के गुण होते है

लाभ-


कांकायन वटी बादी बवासीर में फायदेमंद होती है
यह औषधि बवासीर के मस्सों को सुखा देती है
इस औषधि का सेवन करने से बवासीर के मस्सो से होने वाले दर्द में बहुत फायदा होता है



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